निर्जला एकादशी हिंदू संस्कृति के अनुसार ज्येष्ठ के महीने में 11 वें चंद्रमा के दिन या एकादशी को मनाया जाने वाला एक शुभ दिन है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ का महीना मई/जून में पड़ता है। निर्जला शब्द दो शब्दों से बना है अर्थात निर् और जल जिसका अर्थ निर्जल होता है। हिंदू कैलेंडर में सभी 24 एकादशी में से, यह सबसे पवित्र है। हालांकि इस एकादशी का निर्जल व्रत रखना बहुत कठिन होता है लेकिन भक्तों के लिए यह बहुत ही फलदायी माना जाता है। यह पोस्ट सिर्फ आपके लिए है अगर आप सोच रहे हैं कि 2022 में निर्जला एकादशी कब है और इसका क्या महत्व है? यहां, हम आपको सबसे आसान तरीके से निर्जला एकादशी 2022 से संबंधित सभी आवश्यक विवरण प्रदान करेंगे।
निर्जला एकादशी पर बहुत से भक्त 24 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं। अगर आप भी ऐसे ही एक भक्त हैं तो आपको निर्जला एकादशी की तारीख और समय नोट कर लेना चाहिए। बता दें कि निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादश तिथि को मनाई जाती है। आइए जानें 2022 में निर्जला एकादशी की तिथि और समय।
निर्जला एकादशी के दिन इस नियम का पालन करना होता है जरूरी
व्रत की पूजा विधि– एकादशी व्रत में नियमों का विशेष पालन करना चाहिए। निर्जला एकादशी के दिन स्नान करने के बाद पूजा स्थल पर बैठकर, व्रत का संकल्प लेकर पूजा आरंभ करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं। पूजा में पीले फूलों का प्रयोग करें। इस दिन पीली चीजों का प्रयोग किया जाता है। भगवान विष्णु को पीला रंग अधिक प्रिय है। सर्वप्रथम भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। इसके पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए कि वह जल से कलश भरे व सफ़ेद वस्त्र को उस पर ढककर रखें और उस पर चीनी तथा दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें। इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण भी करना चाहिये। साथ ही भक्ति भाव के साथ निर्जला एकादशी की कथा भी पढ़नी या सुननी चाहिये। अन्न, वस्त्र, आसन, छतरी, पंखी तथा फल आदि का अपनी क्षमतानुसार दान करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत कथा – भीमसेन एकादशी व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के संदर्भ में निर्जला एकादशी की कथा मिलती है। एक बार सभी पांडवों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति के लिये महर्षि वेदव्यास ने एकादशी व्रत का संकल्प करवाया। अब माता कुंती और द्रोपदी सहित सभी एकादशी का व्रत रखते लेकिन भीम जो कि गदा चलाने और खाना खाने के मामले में काफी प्रसिद्ध थे। कहने का तात्पर्य है कि भीम बहुत ही विशालकाय और ताकतवर तो थे लेकिन उन्हें भूख बहुत लगती थी। उनकी भूख बर्दाश्त के बाहर होती थी इसलिये उनके लिये महीने में दो दिन उपवास करना बहुत कठिन था। जब पूरे परिवार का उन पर व्रत के लिये दबाव पड़ने लगा तो वे इसकी युक्ति ढूंढने लगे कि उन्हें भूखा भी न रहने पड़े और उपवास का पुण्य भी मिल जाये। अपने उदर पर आयी इस विपत्ति का समाधान भी उन्होंने महर्षि वेदव्यास से ही जाना। भीम पूछने लगे हे पितामह मेरे परिवार के सभी सदस्य एकादशी का उपवास रखते हैं और मुझ पर भी दबाव बनाते हैं लेकिन मैं धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, दानादि कर सकता हूं लेकिन उपवास रखना मेरे सामर्थ्य की बात नहीं हैं। मेरे पेट के अंदर वृक नामक जठराग्नि है जिसे शांत करने के लिये मुझे अत्यधिक भोजन की आवश्यकता होती है अत: मैं भोजन के बिना नहीं रह सकता। तब व्यास जी ने कहा, भीम यदि तुम स्वर्ग और नरक में यकीन रखते हो तो तुम्हारे लिये भी यह व्रत करना आवश्यक है।
इस पर भीम की चिंता और भी बढ़ गई, उसने व्यास जी कहा, हे महर्षि कोई ऐसा उपवास बताने की कृपा करें जिसे साल में एक बार रखने पर ही मोक्ष की प्राप्ति हो। इस पर महर्षि वेदव्यास ने गदाधारी भीम को कहा कि हे वत्स यह उपवास है तो बड़ा ही कठिन लेकिन इसे रखने से तुम्हें सभी एकादशियों के उपवास का फल प्राप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि इस उपवास के पुण्य के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने मुझे बताया है। तुम ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास करो। इसमें आचमन व स्नान के अलावा जल भी ग्रहण नहीं किया जा सकता।
अत: एकादशी के तिथि पर निर्जला उपवास रखकर भगवान केशव यानि श्री हरि की पूजा करना और अगले दिन स्नानादि कर ब्रहाम्ण को दान-दक्षिणा देकर, भोजन करवाकर फिर स्वयं भोजन करना। इस प्रकार तुम्हें केवल एक दिन के उपवास से ही साल भर के उपवासों जितना पुण्य मिलेगा। महर्षि वेदव्यास के बताने पर भीम ने यही उपवास रखा और मोक्ष की प्राप्ति की। भीम द्वारा उपवास रखे जाने के कारण ही निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है।
त्योहार का नाम: निर्जला एकादशी
पूजा दिनांक: 10 जून 2022 और 11 जून 2022
दिन: शुक्रवार और शनिवार
एकादशी शुरू होने का समय: 10 जून को सुबह 07:30 बजे
एकादशी समाप्ति समय: 11 जून को सुबह 05:40 बजे